शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

मूल निवासियों की अनदेखी का मतलब

छत्तीसगढ़ राय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर जिस तरह के सवाल उठ रहे है वह लोकतंत्र के लिए घातक है धर्म के नाम पर वोट की राजनीति करने वाली भाजपा अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने की बजाय उसे बढ़ाने में लगी है। हर हाल में सत्ता में बने रहने की राजनैतिक तिकड़म में बंदरबाट के साथ अपनी जेबें भरने की रणनीति ही अंधेरगर्दी है और यह सब इस राज में बड़े पैमाने पर हो रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की प्रमुख वजह यहां के मूल निवासियों की अनदेखी रही है और आश्चर्य का विषय तो यह है कि सरकार अभी भी मूल निवासियों की जमकर अनदेखी कर रही है लोकसेवा आयोग का गठन छत्तीसगढ़ में क्या इसलिए किया गया है कि वह छत्तीसगढ़ के बाहर के लोगों की ही नियुक्ति करें। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के सामान्य वर्ग के 158 पदों के विरुध्द बमुश्किल तीन दर्जन छत्तीसगढ़ियों की ही भर्ती की गई है शेष सभी नियुक्तियों दूसरे प्रांत के लोगों को हुई। यह छत्तीसगढ़ियों के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है। नियमानुसार सरकार को इस पर हस्तक्षेप कर सारी नियुक्तियां रद्द कर छत्तीसगढ पीएससी के लिए ऐसी नीतियां बनानी चाहिए ताकि छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों को प्राथमिकता मिले अन्यथा युवा जगत इस अंधेरगर्दी के खिलाफ उठ खड़ा हुआ तो महाराष्ट्र की तरह यहां भी आंदोलन की आग शांत छत्तीसगढ़ को अपने चपेट में ले लेगी।
नौकरशाह तो हर जगह अपने ढंग से काम करती है वह लोकतंत्र का विरोधी माना जाता है लेकिन चुनाव जीत कर आने वाले जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य होता है कि वह इन नौकरशाह को काबू में रख आम लोगों के हितों में फैसले लें। गृह निर्माण मंडल के मौली श्री विहार योजना को लेकर जिस तरह से नौकरशाहों की करतूत सामने आई है वह अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है। आईएएस को गृह निर्माण मंडल ने सस्ते दर पर इसलिए बंगला दिया है कि वे इसका स्वयं उपयोग करें लेकिन दो-चार को छोड़ तमाम आईएएस अफसरों ने अपने बंगले किराये पर दे रखा है और इन बंगलों के एवज में छत्तीसगढ़ के उद्योगपति इस आईएएस लोगों को ओब्लाईज कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। क्या सरकार के मुखिया की जानकारी में यह बात नहीं है कि किस तरह से उद्योगपतियों ने उनके आईएएस लोगों को अपनी जेब में रखकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। यह अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है। अंधेरगर्दी तो यह भी है कि मौली श्री विहार का उपयोग उद्योगपति अपने गेस्ट हाउस के रुप में कर रहे हैं जहां एशो आराम की गंदगी की चर्चा शहर में हो रही है।
इन अफसरों ने शपथ पत्र दिया है कि उनका राजधानी में कोई अन्य मकान नहीं है क्या सरकार झूठा शपथ पत्र देने वाले इन आईएएस लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर पायेगी। यदि यह चर्चा सही है कि सरकार की बात अधिकारी नहीं सुन रहे हैं तो इससे बड़ा अंधेरगर्दी और क्या होगा।
छत्तीसगढ अपने बाल्यावस्था पर है यहां विकास की तीव्र संभावना है संसाधनों की कमी नहीं है लेकिन आश्चर्य का विषय तो यह है कि सरकार का विकास को लेकर किसी तरह से मॉडल तैयार नहीं करना है। क्या भवनों का निर्माण ही विकास है या फिर सिर्फ सड़कें बना देने से विकास हो जाएगा। सरकार का आम लोगों के विकास की सोच कहीं दिखलाई नहीं देती। वह तो चुनाव जीतने वादा करती है उसे तक पूरा नहीं कर रही है। किसान आंदोलन की उपज सरकार के अंधेरगर्दी की वजह से हुआ है। एक तरफ तो प्रचुर संपदा की वजह से कर मुक्त राज्य के सपने देखे जाते थे और आज सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है यह सरकारी अंधेरगर्दी के कारण हो रहा है और अभी भी सरकार चाहे तो सब तरफ मचे लूट खसोट को रोककर अंधेरगर्दी से बच सकती है।