गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

वाह रे...नेतागिरी

छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र चल रहा है। पहले ही दिन कांग्रेस ने किसानों का मुद्दा जोरदार उठाया लाठी चार्ज से लेकर किसानों को चुनाव पूर्व भाजपा द्वारा छले गए मुद्दे विधानसभा में छाये रहे। सरकार के पास न तो 270 रुपए बोनस के मामले में कोई जवाब था और न ही मुफ्त बिजली देने के योजना का ही जवाब था। ऐसे में कांग्रेस ने सरकार के जवाब से अंसतुष्ट होकर विधानसभा से बहिगर्मन कर दिया। विधानसभा में जनहित के सैकड़ों मुद्दे उठते हैं और उठाये जाते हैं। विधायक देवजी पटेल ने तो सीधे मुख्यमंत्री से ही सवाल जवाब किया और जब भाजपा के विधायक को ही मुख्यमंत्री से विधानसभा में सवाल करने पड़ रहे हो तब अंधेरगर्दी का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
तोड़ मरोड़ कर जवाब देने के लिए बार विधानसभा अध्यक्षों को मंत्रियों को डांटना पड़ा है इसके बाद भी मंत्री जवाब देने से बचने के बहाने ढूंढ ही लेता है। अब विदेश दौरे का मामला ही ले लो किसने कितना खर्च किया के ब्यौरा को आसानी से छुपाया गया। अधिकारियों द्वारा खर्च की गई राशि तो बताई गई लेकिन मंत्रियों ने कितने खर्च किए यह बात छुपाना अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है। आखिर जनप्रतिनिधि बने नेता सरकारी खजाने को किस तरह लुटा रहे है यह बात जनता को पता होना चाहिए।
सरकार के अंधेरगर्दी के किस्से थमने का नाम ही नहीं ले रही है। शराब का मामला हो या दौरे के खर्चों का मामला हो। हर तरफ लोग त्रस्त हैं। महंगाई बेलगाम होते जा रही है और जमाखोरी-कालाबाजारी चरम पर हैं। महंगाई को लेकर कोई बोलने को तैयार नहीं है। केन्द्र सरकार राज्य सरकार पर तो राज्य सरकार केन्द्र सरकार पर दोषारोपण में व्यस्त हैं ऐसे में सुरसा की तरह बढ़ती महंगाई ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान क्षेत्र है लेकिन अब सरकार की नजर कृषि भूमि पर है वह खेती की जमीन को विकास के नाम पर अधिग्रहित करने आमदा है और जब उपज ही न हो या उपज का भाव ठीक से न मिले तो महंगाई तो बढ़ना ही है। छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ अत्याचार की कहानी नई नहीं है। सीमेंट उद्योगों में जमीन देने वाले किसान आज भी परेशान है और अब तो गन्ना बोने वाले किसान भी सरकार की अंधेरगर्दी से त्रस्त है। ऐसा कहीं नहीं होता कि किसी भी उत्पादक को लागत से कम बेचा जाए लेकिन छत्तीसगढ़ में गन्ना किसानों को मजबूर किया जा रहा है कि वह अपनी उपज कम कीमत पर बेंचे। पूरे देश में 210 रुपए में बिकने वाला गन्ना यहां 165 रुपए में ही खरीदने की घोषणा सरकार ने की और जब उत्पादक लागत नहीं निकलने की वजह से किसान ने गन्ना बेचने की बजाय उसे गुड़ बनाने की घोषणा की तो सरकार गुड़ बनाने में प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी। देश के सर्वश्रेष्ठ गन्ना उत्पादक किसानों के साथ सरकार का यह रवैया अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है। इस पर कांग्रेस की चुप्पी आश्चर्यजनक है। सरकारें आती जाती रहती हैं और सरकार बनने की गणित भी दूसरी है लेकिन याद वे किये जाते हैं जो काम करते हैं।
छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य ही है कि अकूत संपदा संसाधन होते हुए भी यहां के लोग बदहाली में जी रहे हैं। सरकार भी विकास का मतलब निर्माण समझती है अधिकारी तो पैसा कमाने निर्माणों को मंजूरी देते हैं यही वजह है कि राज्य बनने के 8-9 साल बाद भी छत्तीसगढ़ के आम लोगों को टेक्स की वजह से परेशान होना पड़ रहा है। सरकारी खजानों की लूट का यहां कई अनोखा मामला है। पर्यटन में बगैर नाम पते के लाखों रुपए के देने का मामला हो या जनसंपर्क में प्रचार सामग्री के घपले का मामला हो। सरकार ने अपने लोगों को बचाने का नया फार्मूला भी तय कर लिया है। अब तो पर्यटन में स्टेशनरी घोटाले में रिकवरी का दूसरे विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का नया हथियार पा लिया है। खूब भ्रष्टाचार करो और पकड़े गए तो केवल उसी मामले का पैसा दो और हल्ला हो तो समकक्ष के कमाउ विभाग में चले जाओ। सरकार की यह नीति अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है।