गुरुवार, 18 मार्च 2010

अखबार बना लेमन चूस...

अब हाईटेक का जमाना है। घर बैठे वेबसाइट पर दुनियाभर की खबरें देखी व पढ़ी जा सकती है इसके बाद भी अखबारों में प्रतिस्पर्धा कम नहीं हुई है दरअसल इस देश में अभी भी वेबसाईट पर खबरें पढ़ने वाले गिनती के हैं ऐसे में गला काट स्पर्धा ने अखबार को भी अपने चंगुल में ले रखा है।
छत्तीसगढ़ में अखबारों की प्रतिद्वंद्विता सड़कों तक भी पहुंची थी राय बनने के पहले एक-दूसरे के बंडल चुराने से लेकर जलाने तक की घटना हो चुकी है और जब भी कोई एक अखबार अपना प्रसार संख्या बढ़ाने तिकड़म करता है बाकी अखबारों में भी धुकधुकी शुरु हो जाती है। ऐसा ही कुछ इन दिनों फिर शुरु हो गया है कोई दो-तीन महिने के अखबार के साथ कुछ फ्री दे रहा है तो कोई स्क्रेच कूपन दे रहा है। उपहार योजना के नाम पर लाटरी खिलाई जा रही है। कुल मिलाकर उसकी स्थिति लेमन चूस जैसे हो गई है।
हालांकि छत्तीसगढ क़े पाठक काफी सजग है और वे अखबारों के ऐसे प्रलोभन में कम ही आते हैं लेकिन जो आ सकते हैं उन्हें जिस तरह से प्रलोभन दिया जा रहा है वह पत्रकारिता के लिए चुनौती भी है। सिर्फ प्रलोभन देकर विज्ञापन के रुप में पैसा कमाने की कोशिश से पत्रकारिता जहां कलंकित हो रही है वही खबरों के साथ समझौतों ने इसकी विश्वसनियता पर भी सवाल खड़े किए हैं। हालांकि यह शुरुआत राय बनने के पहले से ही हो गई है लेकिन इससे कम पूंजी के साथ पत्रकारिता करने वालों के रास्ते कठिन हो जाएंगे।
और अंत में...
लुक ने नए तेवर दिखाना क्या शुरु किया जिद् करों ने घर-घर स्क्रेच कार्ड भेजना शुरु कर दिया। देखा-देखी अन्य अखबारों में भी नई तरकीबें बनाना शुरु किया। ऐसे ही एक मामले में एक अखबार में बैठक हुई बैठक में सिटी रिपोर्टर भी बुलाए गए एक रिपोर्टर ने सरकार के खिलाफ खोजी खबर की बात की ही थी कि रिपोर्टरों को बैठक से भगा दिया गया।

मांढर कॉलेज में लूट,को सरकारी संरक्षण

छत्तीसगढ़ में मचे लूट खसोट में मांढर स्थित शिक्षा स्नातक महाविद्यालय भी शामिल है। इनके संचालक ने न केवल सरकारी विभाग को लाखों का चुना लगाया बल्कि ठाकुर होने की वजह से वह पूरे मामले में लीपा-पोती भी करवा रहा है हालत यह है कि इस मामले में महिला आयोग से लेकर सरकार के अफसरों ने खामोशी ओढ ली है और लुटेरों को संरक्षण दे रही है।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में राम नाम की लूट मची है। ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां सरकारी खजानें को बेरहमी से न लूटा जा रहा हो। मांढर शिक्षा स्नातक महाविद्यालय के प्रबंधक अशोक सिंह पर तो कई आरोप है और कहा तो यहां तक जा रहा है कि सत्तापक्ष से रिश्तेदारी की वजह से मांढर कॉलेज के प्रति अफसरों का विशेष लगाव है और यहां हो रहे घपलेबाजी पर पर्दा डाला जा रहा है।
कहने को तो यहां बीएड की 20 सीट है और एडमिशन से लेकर स्कालरशीप में यहां जबरदस्त घपलेबाजी की कहानी सामने आई है और इन घपलेबाजी में प्रबंधक अशोक सिंह की रूचि को लेकर आम लोगों में कई तरह की चर्चा है। बताया जाता है कि अजाजजा विद्यार्थियों के स्कालरशीप में प्रमुख रुप से दो तरह की घपलेबाजी सामने आई है। एक तो फर्जी छात्र के नाम पर स्कालरशीप की राशि डकार ली गई वहीं कई मामले में एक ही विद्यार्थी को दो-तीन बार स्कालरशीप दी गई यानी विद्यार्थियों को तो एक बार ही स्कालरशिप दी गई और बाकी बार की राशि डकार ली गई।
ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायत नहीं की गई है या सरकार की जानकारी नहीं है। इस कॉलेज की अनियमितता की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर संबंधित विभागों सहित महिला आयोग से लेकर लगभग 12 संस्थानों में शिकायत की गई है लेकिन विभागीय अफसर ही पूरे मामले की लीपापोती कर रहे हैं और आरोपियों को बचाया जा रहा है। शिकायतकर्ताओं ने तो इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से आधा दर्जन बार मिल चुके है लेकिन चूंकि प्रबंधक अशोक सिंह है इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायतकर्ताओं के साथ
अधिकारियों का व्यवहार
इस मामले में अशोक सिंह की पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शिकायत कर्ताओं को अधिकारियों का न केवल दर्ुव्यवहार का सामना करना पड़ा बल्कि उसे सेटिंग करने मनाया भी गया।
1. राय महिला आयोग की विभा राव 24-04-09 को हम आवेदकों को पेशी के दिन कहा गया कि हम मैं पेपर कटिंग में लिखित बातों को नहीं मानती सब झूठ है कहती रिकार्ड को सच नहीं मानती कही है। पैसा लेकर केश बंद कर दो ऐसा बोली।
2. शताब्दी पाण्डे महिला मंच की अध्यक्ष राय महिला आयोग सदस्य- 1-04-09 को फोन पर साक्षात सामने हम आवेदकों से कहती है कि हम पैसा लेकर केश बंद कर दे बड़े-बड़े नेता लोग ऐसा करते है तब तुम लोग तो बच्चे हो।
3. जे.एल. गंगवानी उच्च शिक्षा विभाग संचालक जांच अधिकारी- 02-04-09 अप्रैल को जांच करने आए लिखित परीक्षा विद्यार्थी एसटीएससीओबीसी के व स्टाफ सभी के लिए गलत रिपोर्ट शासन को जमा किए और इन्होंने से भी हम आवेदकों को पैसा लेकर केश दबाने के लिए कहा है। ऐसा गड़बड़ी सभी कॉलेजों में होता चलता है शासन की ऐसी व्यवस्था है।
4. डी.एस. ध्रुर्वे, डिप्टी कमीश्नर, डी.डी. कुंजाम, उपायुक्त आदिम जाति, अनुसूचित जाति विकास रायपुर- 30-11-09 को दोनों कहते हैं कि बिना नोटिस किए महाविद्यालय में उपस्थित हो कहे है कि 9 करोड़ 50 लाख रु. छात्रवृत्ति छ.ग. राय के एसटीएससीओबीसी छात्रछात्राओं के लिए वितरण किया गया है। 1 सप्ताह में हम जांच के लिए आ रहे है बोले आज 1 माह से उपर हो गया इनका कोई जवाब नहीं कमीश्नर द्वारा 30-11-09 को मीटिंग रखा गया और कमीश्नर ने 30-11-09 को नोटिस लिफाफा पोस्ट किए और हम आवेदकों को लिफाफा 02-12-09 दिसम्बर को प्राप्त हुआ। 30-11-09 को क्लर्क मो मो. पर करीब 3.30 बजे फोन करके महाविद्यालय बुलाया क्लर्क जब रायपुर में थी क्या इस तरह की शासन की व्यवस्था होती है।
5. कुलसचिव इन्दू अनंत, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय छ.ग. रायपुर- 09-09-09 को सचिव आफिस गए तब इन लोगों ने कहा कि मांढर शिक्षा स्नातक महाविद्यालय हमारे इस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत नहीं आता है और सी.एम. मुख्यमंत्री के आदेश से कोई मतलब नहीं है कह भगा दिया और धमकी में कहा कि तुम यहां विनती करने आए हो या रिपोर्ट लेने आए कह कर हम आवेदकों को भगा दिया।
अन्त में हमें जानकारी मिली है कि अभी वर्तमान 1 सप्ताह में मांढर स्कूल की प्राचार्या श्रीमती सरिता नासरे, समिति कॉलेज अध्यक्ष ध्रुव कुमार वर्मा कॉलेज के प्रबंधक अशोक सिंग कुछ स्टाफ द्वारा छात्रवृत्ति रिकार्ड रजिस्टर चेक का अक्षर हस्ताक्षर बदला गया।