मंगलवार, 29 जून 2010

आंखों में बेशरमी और जीवन का सच...

छत्तीसगढ में बैठी भाजपा सरकार जिस तरह से कार्य कर रही है वह आने वाले दिनों के लिए कहीं से शुभ संकेत नहीं है। अधिकारी और नेताओं के बीच तालमेल से विकास तो हो नहीं रहा है केवल छत्तीसगढ़ को लूटने की साजिश चल रही है। चौतरफा अंधेरगर्दी ने आने वाले दिनों में इस राय के सुनहरे भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
मेरे एक मित्र बाबूलाल शर्मा जो पेशे से पत्रकार भी हैं ने मुझे मेरे ब्लाक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाई जी मेरा मानना है कि सिर्फ भ्रष्टाचार उजागर करना समाचार विचार नहीं है। कुछ हट कर हमें जनहित के लिए भी लिखना चाहिए। मैं भी श्री शर्मा जी के विचार से पूरी तरह इतेफाक रखता हूं लेकिन जब पूरी व्यवस्था भ्रष्ट हो और सरकार की आंखों में शर्म की बजाय बेशरमी झलकती हो तथा आम जनता केवल अपने लिए सोचती हो वहां से रास्ते निकालने की कोशिश में मैं भी लगा हूं।
इस कोशिश में मैं एक-एक ऐसे सच से दोचार हुआ हूं जिससे आज हर कोई दूर भागता है। क्या किसी के समझाने से कोई समझ पाया है। मेरा जवाब भी नहीं है। क्योंकि समझाने से गलत कार्य छोड़ दिए जाते तो फिर भगवान राम को न तो रावण का वध करना पड़ता और न ही श्रीकृष्ण को ही कंस को मारना पड़ता। यदि गलत कार्य कोई छोड़ता है तो किसी के जनजागरण से नहीं बल्कि वाल्मिकी की तरह स्वयं हृदय परिवर्तन होता है। पिछले सदियों से पर्यावरण को लेकर हो या शराब की बुराई की बात हो जनगारण चल रहा है और इसका परिणाम यह है कि पर्यावरण लगातार खराब होते जा रहा है और शराब पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ते जा रही है।
इसलिए ऐसे जनजागरण की बात वे लोग करते हैं जो या तो महात्मा बनना चाहते हैं या लोगों से छल करते हैं। इसलिए यदि कोई चीज गलत है असमाजिक है तो उसे जड़ से नष्ट करना होगा। शराब बंदी जनजागरण से हो जाता तो कब का हो चुका होता क्योंकि इसके खिलाफ हजारों लोग जनजागरण चला रहे हैं। छत्तीसगढ में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है सत्तारुढ़ दल के नेताओं से लेकर अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं तो इनका सामाजिक बहिष्कार जरूरी है क्योंकि बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण ने साबित कर दिया है कि सरकार में आंखों की शर्म भी नहीं बची है ऐसे में भ्रष्ट लोगों के बारे में लोग जाने और आज नहीं तो कल आखों की बेशरमी खत्म हो सके। राजस्व के मामले में पूरे देश में बेहतर छत्तीसगढ क़ी मांग इसलिए नहीं की गई थी कि नेता और अधिकारी इस राजस्व को लूट सके।

जब मुख्यमंत्री की खरी-खोटी पर मंत्री ने दलाल को निकाला!

विधायक ने पीड़ित को सीएम से रूबरू कराया
प्रदेश के दमदार माने जाने वाले मंत्री को अपने एक दलाल राजेन्द्र अग्रवाल को मन मसोस कर बंगले से निकालना पड़ा क्योंकि इस दलाल की दादागिरी की सीधी शिकायत विधायक ने की थी और मुख्यमंत्री ने मंत्री को जमकर खरी खोटी सुनाई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला ठेकेदारी से संबंधित है। कहा जाता है कि मंत्री के लिए विभाग में वसूली का जिम्मा संभालने वाले राजेन्द्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री के गृह जिले के एक ठेकेदार को जमकर लताड़ लगाई और धमकी भी दी थी। ठेकेदार ने इसकी शिकायत विधायक से की और मामला मुख्यमंत्री तक जा पहुंचा। बताया जाता है कि विधायक ने ठेकेदार को सीधे मुख्यमंत्री के पास ले गया जहां ठेकेदार ने आपबीती सुनाई। यह सुनकर मुख्यमंत्री बेहद नाराज हुए।
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने इस दमदार मंत्री को न केवल खरी खोटी सुनाई बल्कि निर्देश भी दिया कि यह राजेन्द्र अग्रवाल आपके बंगले में नहीं आना चाहिए ऐसे लोगों की करतूत से सरकार कभी भी मुसीबत में पड़ सकती है। बताया जाता है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इस दमदार मंत्री की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और उन्होंने तत्काल राजेन्द्र अग्रवाल को बुलाकर कहा कि वे बंगले में न आए।
सूत्रों के मुताबिक तब से राजेन्द्र अग्रवाल बिलासपुर और लौट गए हैं। हालांकि सूत्र बताते हैं कि वे बंगले नहीं आ रहे हैं लेकिन अभी भी मंत्री के लिए काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि पुस्तक सप्लाई के मामले में भी इस राजेन्द्र अग्रवाल की जबरदस्त भूमिका रही है और उनके द्वारा होटल मयूरा में रूके कुछ प्रकाशकों को रातो रात छत्तीसगढ़ से चले जाने की धमकी देते हुए गोली मारने की बात भी कह चुके हैं।
ऐसे ही एक प्रकाशक ने हमें दूरभाष पर बताया कि उन्हें काम करना है लेकिन लफड़े में नहीं पड़ना चाहते इसलिए पुलिस तक नहीं गए। बहरहाल राजेन्द्र अग्रवाल के कारनामों की यहां जबरदस्त चर्चा है और कहा जा रहा है कि अमर अग्रवाल के इस विरोधी ने बिलासपुर में भी कई गुल खिलाए हैं।