गुरुवार, 6 मार्च 2014

विश्वविद्यालय फकत नाम के खुल रहे...


कई भवन विहिन तो उधार की फैकल्टी, स्टॉफ की भी कमी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हर साल खुल रहे विश्वविद्यालय में बुनियादी सुविधाओं और फैकल्टी का अभाव है। सच तो यह है कि राज्य बनने के बाद सरकार ने विश्वविद्यालय खोलने की घोषनाएं तो की लेकिन इसके बाद वह इन्हें भूल गई। बगैर संसाधन व सुविधाओं के विश्वविद्यालय कैसे संचालित हो रहीहै यह आसानी से समझा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के पहले चार विश्वविद्यालय थे जो अब बढ़कर 14 हो गये हैं। राज्य गठन के पहले से स्थापित विश्वविद्यालयों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। स्टॉफ की कमी और उधार की फैकल्टी से चल रहे विश्वविद्यालय में संसाधन व सुविधाएं बढ़ाने की बजाय जिस पैमाने पर विश्वविद्यालय बनाए गए उस पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर छत्तीसगढ़ चर्चा में है यहां विश्वविद्यालयों की खस्ता हाल से बदनामी अलग हो रही है। प्रदेश में हर साल विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा का सच यह है कि कई विश्वविद्यालयों के पास अपने खुद का भवन तक नहीं है। तो कई विश्वविद्यालय स्टॉफ की कमी से बेहाल है। अधिकतर विश्वविद्यालय के पास गिनी चुनी फैकल्टी वह भी उधार की है इनकी हालत सुधारने की बजाय सरकार का रवैया यह है कि वह नये-नये विश्वविद्यालय खोलते चले जा रही है। हालत यह है कि कई विश्वविद्यालय तो उधार या किराये के चंद कमरे वाले भवनों पर चल रहा है।
सूत्रों की माने तो कई विश्वविद्यालयों में स्टॉफ की इतनी कमी है कि 80 से 85 फीसदी पद रिक्त है न शिक्षकों का पता है और न ही लिपिकों का पता है कुछ स्टॉफ जो काम भी कर रहे है वे या तो संविदा के है या प्रतिनियुक्ति से आये हैं।
बताया जाता है कि प्राध्यापकों की कमी को लेकर राज्यपाल द्वारा लगातार नाराजगी जताई जा रही है लेकिन इस पर पहल ही नहंीं हो रही है। शिक्षा के स्तर को लेकर पहले ही बदनाम छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों की इस हाल की चर्चा बाहर के राज्यों तक जा पहुंची है और अब तो डिग्री को लेकर भी गंभीर सवाल उठाये जा रहे हैं।
ज्ञात हो कि सौ से उपर निजी विश्वविद्यालय को लेकर चर्चा में आये छत्तसीसगढ़ में सरकारी विश्वविद्यालयों की जिस पैमाने में घोषणा की गई है वह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है।
सरकारी विश्वविद्यालयों का हाल
राज्य के गठन के पहले
विश्वविद्यालय    वर्तमान स्थिति    स्थापना वर्ष
पं. रविवि रायपुर    अधिकतर पद खाली    1 मई 1964
इंदिरा कला एवं संगीत विवि
गुरु घासीदास विवि बिलासपुर        60 फीसदी पद खाली    16 जून 1983
इंदिरा गांधी कृषि विवि रायपुर    50 फीसदी पद खाली    20 जून 1987
राज्य निर्माण के बाद
हिदायतुल्ला विधि विवि रायपुर    40 फीसदी पद खाली    जून 2003
पं. सुंदरलाल शर्मा मुफ्त विवि बिलासपुर    85 फीसदी पद खाली    29 मार्च 2005
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि रायपुर    50 फीसदी पद खाली    16 अप्रैल 2005
विवेकानंद तकनीकि विवि भिलाई    95 फीसदी पद खाली    16 अप्रैल 2005
बस्तर विवि जगदलपुर    85 फीसदी पद खाली    2 सित. 2008
सरगुजा विवि अंबिकापुर    85 फीसदी पद खाली    4 अक्टू. 2008
आयुष विवि रायपुर    95 फीसदी पद खाली    अक्टू. 2008
बिलासपुर विवि बिलासपुर    95 फीसदी पद खाली    12 फरवरी 2012
कामधेनु विवि दुर्ग        30 फीसदी पद खाली    11 अप्रैल 2012
खेल विश्व विद्यालय    -,,-    -,,-
खैरागढ़    पचास फीसदी पद खाली    14 अक्टू. 1956