बुधवार, 8 अप्रैल 2015

छत्तीसगढ़ी फिल्म पर भी निर्णय करें..


महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने मल्टीप्लेक्स के लिए एक नया फरमान जारी करते हुए सभी मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों को अपने प्राईम टाईम 6 से 9 के शो टाईम पर मराठी फिल्म दिखाना अनिवार्य कर दिया है। यह सब मराठी फिल्मों को प्रमोट करने किया गया है।
छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग सरकारी उपेक्षा की शिकार है। राज्य बने 14 साल हो गये लेकिन न तो फिल्म विकास निगम ही बनाये गये और न ही सरकारी स्तर पर प्रमोट करने के कुछ उपाय ही किये गये। अपने दम पर घिसटते चल रही छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग में महाराष्ट्र सरकार के फैसले से आशा की किरणें यदि देखी जा रही है तो गलत भी नहीं है।
क्योंकि महाराष्ट्र की तरह छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार है। ऐसे में छत्तीसगढ़ी फिल्मों सहित अन्य क्षेत्रीय फिल्मों को प्रमोट के लिए भाजपा शासित राज्यों में मांग उठने लगेगी। जहां तक छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग का सवाल है तो वह पूरी तरह से सरकारी उपेक्षा का शिकार है।राज्य बनने के बाद शुुरूआत में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को लेकर जो आशा बनी थी वह सरकारी नीति के चलते निराशा में बदलने लगी लेकिन छत्तीसगढ़ी निमार्ताओं और कलाकारों ने सरकारी रवैय्ये से कभी भी घुटने नहीं टेके और फिल्म निर्माण में अब भी लगे हैं। हर साल दर्जनों फिल्में बन रही है और कलाकारों के हौसले भी बुलंद है। छत्तीसगढ़ी फिल्म को प्रमोट करने में लगे प्रेम चंद्राकर से लेकर अनुज शर्मा और योगेश अग्रवाल तो मेहनत कर ही रहे हैं। एबेलोन संस्था प्रमुख अजय दुबे ने भी कलाकारों के लिए एवार्ड और सम्मान कार्यक्रम आयोजित कर छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग के लिए आक्सीजन का काम कर रहे हैं।
अपने दम पर चल रहे छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को राज्य सरकार से अभी भी उम्मीद है और उन्हें लगता है कि देर सबेर इस दिशा में सरकार कुछ न कुछ करेगी। महाराष्ट्र सरकार के मराठी फिल्मों को प्रमोट करने के लिए जारी फरमान को लेकर यहां भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रमोट के लिए रमन सरकार से ऐसे ही कदम उठाने की मांग शुरू हो गई है। फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अब छत्तीसगढ़ की सरकार को भी सोचना होगा। हालांकि फिल्म उद्योग से जुड़े एक अन्य पक्ष का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म विकास निगम शीघ्र बनाया जाए।
महाराष्ट्र सरकार के फरमान के बाद छत्तीसगढ़ की रमन सरकार से यदि इस तरह की उम्मीद की जा रही है तो इसमें गलत भी नहीं है। क्षेत्रीय भाषा को लेकर आंदोलन कर रहे बीएल शुक्ला ने तो साफ कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए सरकार को हर क्षेत्र में कदम उठाने चाहिए तभी छत्तीसगढ़ का विकास होगा।
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